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दिल्ली में एक और घोटाला? सरकारी अस्पतालों को मिली नकली दवाएं

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने राष्ट्रीय राजधानी के सरकारी अस्पतालों में आपूर्ति की जा रही गैर-मानक दवाओं की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जांच की सिफारिश की है। मुख्य सचिव को लिखे एक नोट में सक्सेना ने कहा कि यह चिंता का विषय है कि निजी और सरकारी प्रयोगशालाओं में परीक्षण की गई ये दवाएं मानक गुणवत्ता की नहीं निकलीं। उन्होंने कहा कि ये दवाएं दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में लाखों मरीजों को दी जा रही हैं और संभवत: इन्हें मोहल्ला क्लीनिकों में आपूर्ति की जा रही हैं। सक्सेना ने दवाओं की खरीद में भारी बजटीय आवंटन पर चिंता व्यक्त की और आरोप लगाया कि इस अभ्यास में अन्य राज्यों के आपूर्तिकर्ता और निर्माता शामिल थे। घटिया दवाओं के मामले पर सतर्कता निदेशालय की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए, सरकारी प्रयोगशालाओं को भेजे गए 43 नमूनों में से तीन गुणवत्ता परीक्षण में विफल रहे, जबकि 12 रिपोर्ट अभी भी लंबित हैं। निजी प्रयोगशालाओं को भेजे गए अन्य 43 नमूनों में से पांच नमूने गुणवत्ता मानकों का पालन करने में विफल रहे और 38 नमूने मानक गुणवत्ता के पाए गए। उपराज्यपाल ने कहा कि एम्लोडिपाइन, लेवेतिरसेटम, पैंटोप्राजोल, सेफैलेक्सिन और डेक्सामेथासोन जैसी दवाएं सरकारी और निजी दोनों प्रयोगशालाओं में विफल रही हैं। 11 और सैंपल की रिपोर्ट अभी भी चंडीगढ़ की सरकारी लैब में पेंडिंग है। सतर्कता विभाग ने सिफारिश की है कि चूंकि 10 प्रतिशत से अधिक नमूने गुणवत्ता परीक्षण में विफल रहे हैं, इसलिए नमूना लेने का दायरा बढ़ाया जाएगा।

 

 

 

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