रामदेव, पतंजलि और कोर्ट कचहरी, रूह अफ़ज़ा के बाद अब च्यवनप्राश को लेकर मचा नया बवाल क्या है?
रामदेव, पतंजलि और कोर्ट कचहरी ये तीनों तो नामों एक साथ नत्थी हो गए हो। विज्ञपनों, शिकायतों और कोर्ट से परी डांट का एक पुराना पैटर्न है। इतनी बार दोहराया गया कि दुनिया एक मैट्रिक्स है और हम एक लूप में फंसे हुए है वाली रील बन जाए। इस बार डाबर का चवनप्रास केंद्र में है। दिल्ली हाई कोर्ट ने पतंजलि को हिदायत दी है कि डाबल चवनप्रास के खिलाफ भ्रामक और अपमानजनक विज्ञापन फैलाना बंद करें। डाबर ने शिकायत की थी कि पतंजलि आजतन अपराधी है। रामदेव, पतंजलि और कोर्ट कचहरी ये तीनों तो नामों एक साथ नत्थी हो गए हो। विज्ञपनों, शिकायतों और कोर्ट से परी डांट का एक पुराना पैटर्न है। इतनी बार दोहराया गया कि दुनिया एक मैट्रिक्स है और हम एक लूप में फंसे हुए है वाली रील बन जाए। इस बार डाबर का चवनप्रास केंद्र में है। दिल्ली हाई कोर्ट ने पतंजलि को हिदायत दी है कि डाबल चवनप्रास के खिलाफ भ्रामक और अपमानजनक विज्ञापन फैलाना बंद करें। डाबर ने शिकायत की थी कि पतंजलि आजतन अपराधी है। दिल्ली हाई कोर्ट ने डाबर च्यवनप्राश के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक विज्ञापन प्रसारित करने से पतंजलि पर रोक लगा दी। जस्टिस मिनी पुष्करणा की पीठ ने पतंजलि को विज्ञापन प्रसारित करने से रोकने का अनुरोध करने वाली डाबर की अंतरिम याचिका को स्वीकार कर लिया। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 14 जुलाई की तारीख तय की है। गौरतलब है कि पतंजलि इससे पहले शरबत के अपने विज्ञापन को लेकर भी हाईकोर्ट की सख्ती का सामना कर चुका है। उस विज्ञापन में स्वामी रामदेव ने रूह अफजा को शरबत जिहाद बताया था। इसके खिलाफ ये शरबत बनाने वाली कंपनी हमदर्द कोर्ट चली गई। दिल्ली हाईकोर्ट ने इसपर पतंजलि को सख्त आदेश दिया जिसके बाद कंपनी को अपना वो विज्ञापन भी वापस लेना पड़ा था।