राष्ट्रीय

वक्फ पर डैमेज कंट्रोल में जुटी जेडीयू

भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पारित होने को ऐतिहासिक बताया। लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जेडी(यू) के लिए यह बहुत अच्छा नहीं रहा। जनता दल (यूनाइटेड) के पांच वरिष्ठ नेताओं ने वक्फ संशोधन विधेयक पर पार्टी के रुख से असंतुष्टि जताते हुए अपने इस्तीफे की पेशकश की। पार्टी से इस्तीफा देने वाले नेताओं की सूची में नदीम अख्तर पांचवें और सबसे ताजा इस्तीफे हैं। इससे पहले राजू नैय्यर, तबरेज सिद्दीकी अलीग, मोहम्मद शाहनवाज मलिक और मोहम्मद कासिम अंसारी ने पार्टी से नाता तोड़ लिया था। हालांकि, जदयू अब डैमेज कंट्रोल में जुट गई है। शनिवार को मुस्लिम नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान पार्टी के तीन मुस्लिम नेता भी मौजूद थे जो लगातार वक्फ कै विरोध कर रहे थे। इस पीसी में शिया वक्फ बोर्ड चेयरमैन अफजल अब्बास, जदयू अल्पसंख्यक सेल के अध्यक्ष अशरफ अंसारी, एमएलसी गुलाम गौस, पूर्व राज्यसभा सांसद अशफाक करीम, सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अंजुम आरा, कहकशा परवीन और सलीम परवेज शामिल हुए। जेडीयू नेता अंजुम आरा ने कहा ने कहा कि जेडीयू ने पांच सुझाव या शर्तें पेश की थीं, जिन्हें वक्फ संशोधन विधेयक में स्वीकार कर लिया गया। पहला- जमीन राज्य का मामला है, इसलिए कानूनों में भी यह प्राथमिकता बनी रहे। दूसरा- यह कानून भावी तरीके से प्रभावी हो, न कि पूर्वव्यापी तरीके से। तीसरा- अगर किसी गैर-पंजीकृत वक्फ संपत्ति पर कोई धार्मिक संस्थान स्थापित है, तो उससे छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। चौथा- वक्फ संपत्तियों से जुड़े विवादों को सुलझाने के लिए जिला मजिस्ट्रेट से ऊपर के अधिकारी को अधिकृत किया जाए। पांचवां- वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को डिजिटल पोर्टल पर रजिस्टर करने के लिए बिल में दी गई 6 महीने की समय सीमा को बढ़ाया जाए। इन सुझावों को स्वीकार किए जाने के बाद ही हम वक्फ संशोधन विधेयक पर सहमत हुए। जेडी(यू) एमएलसी खालिद अनवर ने कहा कि हमने अपनी चिंताएं भेजीं और हमारी सभी चिंताओं का उचित उत्तर दिया गया और हमने जनता के सामने पारदर्शी रुख रखा। जेडीयू एक धर्मनिरपेक्ष, उदार और लोकतांत्रिक पार्टी है और इसके सभी नेता नीतीश कुमार के साथ मजबूती से खड़े हैं। कोई भी मुस्लिम नेता पार्टी नहीं छोड़ेगा। स बीच, शुक्रवार को राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पारित हो गया, जिसके पक्ष में 128 और विपक्ष में 95 वोट पड़े। विपक्ष ने इसे “मुस्लिम विरोधी” और “असंवैधानिक” बताया है, कांग्रेस और एआईएमआईएम के नेता वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चले गए हैं।

 

 

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